Home खण्डन मण्डन हिन्दू धर्म पर लगे वामपंथी आरोपों का उत्तर

हिन्दू धर्म पर लगे वामपंथी आरोपों का उत्तर

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प्रश्न ०२ – जितने भी देवी देवताओं की सवारियां हैं, उनमें सिर्फ वही जानवर क्यों हैं जो कि भारत में ही पाये जाते हैं ? ऐसे जानवर क्यों नहीं, जो कि सिर्फ कुछ ही देशो में पाये जाते हैं, जैसे कि कंगारू, जिराफ आदि ?
उत्तर ०२ – यह प्रश्न ही बड़ा अज्ञानमूलक है। जब भारत में अवतार होंगे तो वैसे पशु ही वाहन बनाये जाएंगे जो भारत में उपलब्ध हों। वैसे मैं एक बात स्पष्ट कर दूं कि देवताओं के वाहन लौकिक पशु नहीं होते हैं, वे पशु पक्षी के जैसे दिखते हैं किंतु धर्ममय होते हैं। धर्म के ही आधार पर देवतत्व स्थित होता है। भगवान् शिव के वाहन नंदीश्वर हैं, जो बैल के रूप में धर्म ही हैं।
वृषो हि भगवान् धर्म:
(स्कन्दपुराण)
देवी का जो सोमनन्दी नामक वाहन है, वह आकृति से सिंह है, किन्तु वह भी धर्ममय ही है।
सिंहं समग्रं धर्ममीश्वरम्
(वैकृतिक रहस्य)
ऐसे ही विष्णुदेव के गरुड़, सरस्वती देवी का हंस, आदि सभी ज्ञानादि के प्रतीक धर्मरूप ही हैं। वैसे देवताओं के अनेक दिव्य विमानों का वर्णन भी शास्त्रों में व्यापकता से प्राप्त होता है।
दूसरी बात, इस प्रश्न में विरोधाभास है। देवताओं के वाहन केवल भारत में ही पाए जाते हैं, ऐसी बात नहीं है, अपितु कंगारू, जिराफ आदि तो एक दो देशों में ही पाए जाते हैं, किन्तु देवताओं के वाहन बहुतायत से लगभग पूरी पृथ्वी में पाए जाते हैं। आजकल लोगों के स्वार्थ, प्रदूषण, शिकार आदि के कारण बहुत स्थानों की जैव विविधता संकट में पड़ गई है किंतु हम आज भी देख सकते हैं कि देवताओं के वाहन जिस आकृति को धारण करते हैं वे भारत के अतिरिक्त भी अन्य अनेकों देशों में प्राकृतिक रूप से उपलब्ध हैं।
उदाहरण के लिए – गंगादेवी का मगरमच्छ, गणेश जी का चूहा, कुमार कार्तिकेय का मोर, देवी का सिंह, विष्णु भगवान् का गरुड़, यमराज का भैंसा, इन्द्र का हाथी और घोड़ा, शनिदेव का कौवा, सरस्वती का हंस, अग्निदेव का भेड़ा, वायुदेव का हिरण आदि प्राणी तो लगभग सारे भूमंडल पर पाए जाते हैं। शिव जी का वृषभ भी पहले व्यापकता से उपलब्ध था किंतु अब म्लेच्छों के प्रभाव से भारत में ही गोवंश संकट की स्थिति में है।